
उत्तर प्रदेश के ज़िला मुरादाबाद के छोटे से नगर पंचायत अगवानपुर से आने वाले मोहम्मद मुस्लिम एक ऐसे शख्स हैं जो “सांप देखो और मार दो” वाले माइंडसेट को तोड़ रहे हैं। “सेव द स्नेक” – ये उनका मिशन है, जो वो पिछले 8 सालों से बिना किसी लालच, बिना फीस, और बिना डरे चला रहे हैं। अब तक 50 से 60 से ज्यादा सांपों को वो इंसानी भीड़ से बचाकर सुरक्षित जंगल में छोड़ चुके हैं।
एक कॉल पर पहुंचते हैं मुस्लिम – सांप हो या ज़हर, इलाज दोनों का
चाहे मामला यूपी का हो या उत्तराखंड का – मुस्लिम एक कॉल पर तैयार मिलते हैं। और सबसे खास बात – “कोई चार्ज नहीं, कोई शर्त नहीं – सिर्फ जान बचाना मकसद है।”
अगर किसी को सांप काट ले, तो मोहम्मद मुस्लिम आयुर्वेदिक ज्ञान से फ़र्स्ट एड और हर्बल ट्रीटमेंट भी करते हैं। कई बार उन्होंने इंसानों की जान भी बचाई है – वो भी बिना हॉस्पिटल दौड़ाए।
सांपों की दुनिया की ‘विकीपीडिया’ हैं मुस्लिम
इस रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकार शकील अहमद से बात करते हुए मुस्लिम ने कई सांपों के नाम, ज़हर की तीव्रता और Snakebite First Aid के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताए:
- सांपों के टाइप्स – कोबरा, करैत, धामिन, वाइपर
- ज़हर के इफेक्ट्स – न्यूरोटॉक्सिक या हेमोटॉक्सिक
- तुरंत इलाज – खून बहने से रोको, हिलना कम करो, तुरत इलाज की सलाह
उनका कहना है:

“मैं नहीं चाहता कि कोई इंसान मरे, और ना ही कोई सांप मरे – दोनों की जान जरूरी है।”
सम्मान, समर्थन और सच्ची सेवा
स्थानीय लोग मोहम्मद मुस्लिम को “सांपों वाला फरिश्ता” कहने लगे हैं। बच्चे, बुज़ुर्ग, और युवा – सभी उनकी इस सेवा के लिए सम्मान करते हैं। ना सेलिब्रिटी, ना सरकार – फिर भी वो अपने दम पर एक ऐसा बदलाव ला रहे हैं जो समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता फैला रहा है।
ये सिर्फ सांप बचाना नहीं, सोच बदलना है!
जहां लोग सांप को देखते ही डरते हैं, वहीं मोहम्मद मुस्लिम कहते हैं – “डरिए मत, समझिए… हर जान की कीमत बराबर है।”
और यही सोच हमें भी अपनानी चाहिए।